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MYTHOLOGY AND ASTRONOMY
परम्परा से सीखे हुए वास्तु सूत्रों को
जनजीवन के लिये कैसे प्रयोग में लाएं, पं.सतीश शर्मा ने इसके लिये अथक
परिश्रम किया है। उन्होंने वास्तु के परम्परागत ज्ञान को जो कि शास्त्रों
में सहज रूप से भी उपलब्ध नहीं है, अपनी वंश परम्परा से और उन मिस्त्रियों
से भी प्राप्त किया है जिन्होंने राजस्थान के शेखावाटी जनपद में उन धनाढ्य
घरानों के मकान बनाये जो कि भारत की अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते रहे हैं। उनका लम्बा जीवन शास्त्रों, लौकिक अवधारणाओं, किंवदंतियों
और भ्रांतियों पर शोध करने में बीता है।
इस पुस्तक में उन्होंने पुराण कथाओं का उपहास उड़ाने वाले अंग्रेज इतिहासकारों को चुनौती देते हुए यह स्थापित किया है कि पुराण कथाओं का उद्गम ऋषियों का उच्चकोटि का खगोल ज्ञान था और प्रत्येक पुराण कथा की पृष्ठभूमि में कोई न कोई वैज्ञानिक आधार छुपा हुआ है। पं. सतीश शर्मा ने उस पृष्ठभूमि में पहुंचकर ऋषियों का मस्तिष्क पढऩे की चेष्टा की है, जब वे ऋषि इन विषयों पर चिंतन कर रहे थे।
वास्तुशास्त्र को अपनी समस्त दार्शनिक पृष्ठभूमि और उसके भूमि पर सहज प्रयोग को लेकर उन्होंने बड़े-बड़े अन्तर्राष्ट्रीय घरानों और उनकी निर्माण रचनाओं पर प्रयोग किये तथा अकल्पित सफलता प्राप्त की। उनकी सलाह का क्षेत्र दुनिया के हर महाद्वीप में और अनन्त देशों में फैला है और भारत के बड़े घरानों में से आधे उनके ज्ञान का लाभ उठाते हैं। कुछ औद्योगिक घरानों का टर्न-ओवर वे हजारों करोड़ रुपये बढ़ा चुके हैं। आज पं. सतीश शर्मा भारत में वास्तु शास्त्र शब्द के पर्याय हैं, इस विषय में उनकी अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति है।
पं. सतीश शर्मा द्वारा सम्पादित ज्योतिष मंथन पत्रिका भारत की सबसे अधिक प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका है। इंटरनेशनल वास्तु एकेडेमी के माध्यम से वे वास्तु का गंभीर प्रशिक्षण नियमित कक्षाओं, पत्राचार, इंटरनेट व सभाओं के माध्यम से प्रदान कर रहे हैं। उनकी कक्षाओं में फील्ड टे्रनिंग की अनिवार्य व्यवस्था है। वे अपनी कम्पनी एस्ट्रोब्लैसिंग्स इंटरनेशनल प्रा.लि. के माध्यम से भारत की संचार कम्पनियों, समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के माध्यम से वैदिक ज्योतिष व वास्तु शास्त्र की सेवाएं व जन शिक्षण दे रहे हैं।
इस पुस्तक में वर्णित विषयों पर एक अन्य ग्रंथ भी लेखन प्रक्रिया से गुजर रहा है।
इस पुस्तक में उन्होंने पुराण कथाओं का उपहास उड़ाने वाले अंग्रेज इतिहासकारों को चुनौती देते हुए यह स्थापित किया है कि पुराण कथाओं का उद्गम ऋषियों का उच्चकोटि का खगोल ज्ञान था और प्रत्येक पुराण कथा की पृष्ठभूमि में कोई न कोई वैज्ञानिक आधार छुपा हुआ है। पं. सतीश शर्मा ने उस पृष्ठभूमि में पहुंचकर ऋषियों का मस्तिष्क पढऩे की चेष्टा की है, जब वे ऋषि इन विषयों पर चिंतन कर रहे थे।
वास्तुशास्त्र को अपनी समस्त दार्शनिक पृष्ठभूमि और उसके भूमि पर सहज प्रयोग को लेकर उन्होंने बड़े-बड़े अन्तर्राष्ट्रीय घरानों और उनकी निर्माण रचनाओं पर प्रयोग किये तथा अकल्पित सफलता प्राप्त की। उनकी सलाह का क्षेत्र दुनिया के हर महाद्वीप में और अनन्त देशों में फैला है और भारत के बड़े घरानों में से आधे उनके ज्ञान का लाभ उठाते हैं। कुछ औद्योगिक घरानों का टर्न-ओवर वे हजारों करोड़ रुपये बढ़ा चुके हैं। आज पं. सतीश शर्मा भारत में वास्तु शास्त्र शब्द के पर्याय हैं, इस विषय में उनकी अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति है।
पं. सतीश शर्मा द्वारा सम्पादित ज्योतिष मंथन पत्रिका भारत की सबसे अधिक प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका है। इंटरनेशनल वास्तु एकेडेमी के माध्यम से वे वास्तु का गंभीर प्रशिक्षण नियमित कक्षाओं, पत्राचार, इंटरनेट व सभाओं के माध्यम से प्रदान कर रहे हैं। उनकी कक्षाओं में फील्ड टे्रनिंग की अनिवार्य व्यवस्था है। वे अपनी कम्पनी एस्ट्रोब्लैसिंग्स इंटरनेशनल प्रा.लि. के माध्यम से भारत की संचार कम्पनियों, समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के माध्यम से वैदिक ज्योतिष व वास्तु शास्त्र की सेवाएं व जन शिक्षण दे रहे हैं।
इस पुस्तक में वर्णित विषयों पर एक अन्य ग्रंथ भी लेखन प्रक्रिया से गुजर रहा है।
लेखक
पं. सतीश शर्मा
पं. सतीश शर्मा
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