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गुरु पर्वत के पीडित होने पर होतें हैं ये रोग

गुरु पर्वत, जिसे हम बृहस्पति पर्वत भी कहते हैं। उससे संबंधित रोगों में प्रथम रोग पाचन-तंत्र की खराबी के कारण उपजता है क्योंकि गुरु प्रधान व्यक्ति खाने-पीने के बेहद शौकीन होते हैं। अत्यधिक खान-पान के कारण इनका पाचन-तंत्र खराब होने लगता है जिसके कारण पेट संबंधी रोग जैसे लीवर, सूजन, अपच इत्यादि उत्पन्न होते हैं। खानपान पर नियंत्रण नहीं होने से गुरु प्रधान व्यक्तियों का मोटापा बढ़ता रहता है जो कि कई रोगों को जन्म देता है। मधुमेह एवं अजीर्ण जैसी बीमारियों का अनुमान भी गुरु पर्वत से लगाया जा सकता है।
गुरु प्रधान व्यक्तियों में सूजन की बीमारी भी बहुतायत में पायी जाती है। इस सूजन के कारण भी कई रोगों की उत्पत्ति होती है। यहां इस विषय का भी उल्लेख करना उचित रहेगा कि ये रोग गुरु पर्वत की खराब स्थिति होने पर ही उत्पन्न होते हैं। बृहस्पति प्रधान व्यक्तियों में पित्त प्रधानता अक्सर पाई जाती है। इसी प्रधानता के कारण इनमें गठिया होने की भी प्रबल संभावनाएं रहती हैं। इसके अतिरिक्त गुरु पर्वत के दूषित होने की अवस्था मूच्र्छा, यकृत तथा वायु संबंधी विकार या बीमारियों को भी जन्म देती है। उपरोक्त बीमारियाँ गुरु पर्वत के किसी भी प्रकार दूषित होने पर अधिकांशत: उत्पन्न होती हैं।
गुरु प्रधान व्यक्तियों में सूजन की बीमारी भी बहुतायत में पायी जाती है। इस सूजन के कारण भी कई रोगों की उत्पत्ति होती है। यहां इस विषय का भी उल्लेख करना उचित रहेगा कि ये रोग गुरु पर्वत की खराब स्थिति होने पर ही उत्पन्न होते हैं। बृहस्पति प्रधान व्यक्तियों में पित्त प्रधानता अक्सर पाई जाती है। इसी प्रधानता के कारण इनमें गठिया होने की भी प्रबल संभावनाएं रहती हैं। इसके अतिरिक्त गुरु पर्वत के दूषित होने की अवस्था मूच्र्छा, यकृत तथा वायु संबंधी विकार या बीमारियों को भी जन्म देती है। उपरोक्त बीमारियाँ गुरु पर्वत के किसी भी प्रकार दूषित होने पर अधिकांशत: उत्पन्न होती हैं।