होम : लेख :: दुनिया में तीन चीजें बिकती हैं। भय, भूख और सपने।
दुनिया में तीन चीजें बिकती हैं। भय, भूख और सपने।

जब मेरी रुचि वास्तु में बढ़ी तो यह आत्मविश्वास भी बढ़ा कि वास्तु रचना से न केवल आय के स्तर का ज्ञान किया जा सकता है बल्कि उसे घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है परंतु ऐसा कैसे हो सकता है कि जन्मपत्रिका में प्रदत्त आय के स्तर से अधिक आय कोई वास्तु करा सकती है? मेरे चारों तरफ ऐसे दर्दुर वास्तुशास्त्रियों की बाढ़ थी जो टाटा-बिड़ला बनाने के दावे करते हैं। ऐसे में जन्मपत्रिका में वर्णित आय सीमा का उल्लेख उनके दावों की धज्जियाँ उड़ाता। मेरा अनुभव रहा है कि ज्योतिषी यदि कुण्ठित व्यक्तियों की दमित इच्छाओं का भविष्यकथन के माध्यम से पोषण या पिष्ट पोषण करे तो वह लोकप्रिय हो सकता है? यदि स्वप्न पोषण का कार्य ज्योतिषी करने लगें तो अनर्थ के सिवा और क्या हो सकता है?
एक दिन एक 20 साल का नवयुवक मेरे चैंबर में आया और कैटवॉक करता हुआ बोला `दुनिया में तीन चीजें बिकती हैं। भय, भूख और सपने।` मैंने तत्क्षण ही उसे कहा- `शाहरुख भी नहीं?` वह बोला `आप भय बेचते हैं।` मैं अवाक् रह गया। वह सत्य ही तो कह रहा था परंतु यह बात उसी पर तो लागू हो सकती थी जो ज्योतिष को बेचते हैं। जो विद्या करते हैं उन पर यह बात क्यों लागू होगी? मैंने इस प्रकार मेरे मन को समझाया।
अस्तु, मैंने ज्योतिष की सीमाओं को स्वीकार करते हुए ही अर्थात् जन्मपत्रिका की सीमाओं को स्वीकार करते हुए ही वास्तु से सकल प्राप्ति की सीमाएं तय कीं और तदनुरूप ही भविष्यवाणियाँ या अपने दावे किये। इसका परिणाम यह रहा कि मुझे वर्षों तक मेरे समकालीन मित्रों की अपेक्षा शुल्क हमेशा ही कम मिला परंतु आज मुझे इस बात का कोई शिकवा नहीं है। और यह भी सच है कि छलने वाले ज्योतिषियों की ख्याति स्थायी प्रकृति की नहीं होती। क्षुद्र साधनाओं के माध्यम से धूमकेतु से चमकने वाले विशेषज्ञ शीघ्र ही अपनी चमक खो देते हैं।
मैं वास्तु से व्यक्ति या कंपनी का टर्न ओवर जान लेने की प्रक्रिया में जब थोड़ी सी सफलता प्राप्त करने लगा तो साथ ही साथ कला क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों की सफलता का परिमाण भी ज्ञात करने लगा। मुझे आश्चर्य हुआ कि ऐसे प्रयोगों के दौरान मुझे पता चला कि कला की ऊँचाइयों को आकृति दी जा सकती है और सफलता की धार को पैना किया जा सकता है।
जन्मपत्रिका में साधारण तौर से आप देखेंगे कि कला प्रदान करने वाले ग्रह सफलता और नाम तो दे सकते हैं परंतु धनी तब तक नहीं बनायेंगे जब तक कि उनको बलवान बुध का सहारा न मिले। जैसे कि शुक्र व्यक्ति को कलावंत बनायेंगे परंतु जैसे ही शुक्र को बुध ने सहयोग दिया कि वह व्यक्ति अपने आप या तो मार्केटिंग में कुशल हो जाता है या उसको ऐसे व्यक्तियों का सहयोग मिल जाता है जो कि मार्केटिंग में कुशल होते हैं। ऐसे बहुत सारी जन्मपत्रिकाएं मैंने देखी है जिनमें व्यक्ति को आर्थिक सफलताएं तभी मिलीं जब योगकारक ग्रहों को बुध ने सहयोग दिया।
एक दिन एक 20 साल का नवयुवक मेरे चैंबर में आया और कैटवॉक करता हुआ बोला `दुनिया में तीन चीजें बिकती हैं। भय, भूख और सपने।` मैंने तत्क्षण ही उसे कहा- `शाहरुख भी नहीं?` वह बोला `आप भय बेचते हैं।` मैं अवाक् रह गया। वह सत्य ही तो कह रहा था परंतु यह बात उसी पर तो लागू हो सकती थी जो ज्योतिष को बेचते हैं। जो विद्या करते हैं उन पर यह बात क्यों लागू होगी? मैंने इस प्रकार मेरे मन को समझाया।
अस्तु, मैंने ज्योतिष की सीमाओं को स्वीकार करते हुए ही अर्थात् जन्मपत्रिका की सीमाओं को स्वीकार करते हुए ही वास्तु से सकल प्राप्ति की सीमाएं तय कीं और तदनुरूप ही भविष्यवाणियाँ या अपने दावे किये। इसका परिणाम यह रहा कि मुझे वर्षों तक मेरे समकालीन मित्रों की अपेक्षा शुल्क हमेशा ही कम मिला परंतु आज मुझे इस बात का कोई शिकवा नहीं है। और यह भी सच है कि छलने वाले ज्योतिषियों की ख्याति स्थायी प्रकृति की नहीं होती। क्षुद्र साधनाओं के माध्यम से धूमकेतु से चमकने वाले विशेषज्ञ शीघ्र ही अपनी चमक खो देते हैं।
मैं वास्तु से व्यक्ति या कंपनी का टर्न ओवर जान लेने की प्रक्रिया में जब थोड़ी सी सफलता प्राप्त करने लगा तो साथ ही साथ कला क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों की सफलता का परिमाण भी ज्ञात करने लगा। मुझे आश्चर्य हुआ कि ऐसे प्रयोगों के दौरान मुझे पता चला कि कला की ऊँचाइयों को आकृति दी जा सकती है और सफलता की धार को पैना किया जा सकता है।
जन्मपत्रिका में साधारण तौर से आप देखेंगे कि कला प्रदान करने वाले ग्रह सफलता और नाम तो दे सकते हैं परंतु धनी तब तक नहीं बनायेंगे जब तक कि उनको बलवान बुध का सहारा न मिले। जैसे कि शुक्र व्यक्ति को कलावंत बनायेंगे परंतु जैसे ही शुक्र को बुध ने सहयोग दिया कि वह व्यक्ति अपने आप या तो मार्केटिंग में कुशल हो जाता है या उसको ऐसे व्यक्तियों का सहयोग मिल जाता है जो कि मार्केटिंग में कुशल होते हैं। ऐसे बहुत सारी जन्मपत्रिकाएं मैंने देखी है जिनमें व्यक्ति को आर्थिक सफलताएं तभी मिलीं जब योगकारक ग्रहों को बुध ने सहयोग दिया।
-पं. सतीश शर्मा, 16-05-2016