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कब होगी बारिश ।

ग्रहों से वर्षा विचार
गाय बिना कारण उछलें कूदे या आकाश की ओर मुंह करें तो वर्षा होती है। मेंढकों का बार-बार टर्र टर्र की आवाज करना, बिना कारण चींटियंा अपने अन्डों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, सर्पों को मैथुन करते या सर्प वृक्ष पर चढ़ें, गिरगिट वृक्ष के शिख्रर पर खड़ा होकर आकाश को मुंह करके देखें तो शीघ्र बरसात होती है। पक्षी धूल में स्नान करते देखे जाएं या रात्रि में जुगनू बादल पक्षी जाए तो शीघ्र वर्षा का ज्ञान होता है।
आकाश से विचार - गौ के नेत्र के समान या कौओं के अण्डे के समान आकाश दिखाई दें तो वर्षा का योग होता है। सूर्य के उदय या अस्त के समय इन्द्र धनुष या सूर्य, चन्द्र का परिवेष दिखाई दें तो जल्दी वर्षा के योग होते हैं। तोता या कबूतर के नेत्र के समान या शहद की तरह चन्द्र दिखाई दे, आकाश में दूसरा चन्द्र या सूर्य दिखाई दे तो शीघ्र बरसात होती है।
वनस्पतियों से विचार - जब वनस्पतियों के फल-फूलों की अधिकता दिखाई दे तो अधिक वर्षा का लक्षण होता है। जिस देश में वृक्ष,गुल्म और लताओं के पत्ते चिकने और छेद से रहित दिखाई दें तो अच्छी वर्षा का ज्ञान कराते हैं। जब लताओं में नये पत्ते आकाश की ओर उठें तो बरसात के योग होते हैं।
- वर्षाकाल में बुध, शुक्र के उदय, अस्त के समय वर्षा होती है तथा शनि के उदय या अस्त होने से भी वर्षा होती है।
- वर्षाकाल में शुक्र स्थित राशि से सप्तम में चन्द्रमा शुभ ग्रह से दृष्ट हो या शनि स्थित राशि से नवम् या पंचम भाव में चन्द्रमा स्थित होकर शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो वर्षा होने के अच्छे योग होते हैं।
- जब बुध-गुरु, बुध-शुक्र, गुरु-शुक्र और शनि-मंगल की युति हो तथा उन पर शुभ ग्रह की दृष्टि या प्रभाव न हो तो वायु एवं उष्णता का भय होता है।
- सूर्य से धीमी गति वाला ग्रह आगे तथा तेज गति ग्रह पीछे रहने की स्थिति में अच्छी वर्षा के योग होते हैं।
- शुभ ग्रह जलराशि में हो या वर्षाकाल में लग्र से केन्द्र में स्थित हो या तीसरे भाव में हो और शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा जलीय राशि में स्थित हो तो वर्षा की पुष्टि होती है।
- जब समस्त ग्रह गोचर में सूर्य से पीछे हों या सब आगे हो जाएं तो उत्तम वर्षा का योग होता है।
- शनि, मंगल राशि परिवर्तन करते समय वर्षा कराते हैं।
- ग्रह वक्री होने से भी वर्षा की संभावना बनती है।
गाय बिना कारण उछलें कूदे या आकाश की ओर मुंह करें तो वर्षा होती है। मेंढकों का बार-बार टर्र टर्र की आवाज करना, बिना कारण चींटियंा अपने अन्डों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, सर्पों को मैथुन करते या सर्प वृक्ष पर चढ़ें, गिरगिट वृक्ष के शिख्रर पर खड़ा होकर आकाश को मुंह करके देखें तो शीघ्र बरसात होती है। पक्षी धूल में स्नान करते देखे जाएं या रात्रि में जुगनू बादल पक्षी जाए तो शीघ्र वर्षा का ज्ञान होता है।
आकाश से विचार - गौ के नेत्र के समान या कौओं के अण्डे के समान आकाश दिखाई दें तो वर्षा का योग होता है। सूर्य के उदय या अस्त के समय इन्द्र धनुष या सूर्य, चन्द्र का परिवेष दिखाई दें तो जल्दी वर्षा के योग होते हैं। तोता या कबूतर के नेत्र के समान या शहद की तरह चन्द्र दिखाई दे, आकाश में दूसरा चन्द्र या सूर्य दिखाई दे तो शीघ्र बरसात होती है।
वनस्पतियों से विचार - जब वनस्पतियों के फल-फूलों की अधिकता दिखाई दे तो अधिक वर्षा का लक्षण होता है। जिस देश में वृक्ष,गुल्म और लताओं के पत्ते चिकने और छेद से रहित दिखाई दें तो अच्छी वर्षा का ज्ञान कराते हैं। जब लताओं में नये पत्ते आकाश की ओर उठें तो बरसात के योग होते हैं।
- ज्योतिष मंथन, 02-07-2016