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बदल रहा है धन देने वाले ग्रहों का चलन

भारतीय ज्योतिष में शुक्र एवं गुरु की महादशा विशेष धनदायक मानी गयी है। ये देव ग्रह उचित माध्यम से धन देते हैं। आज धन कमाने का आधार बदला गया है। साधनों की शुद्धता टूटी है। स्वतंत्रता के पश्चात् भाग्यवादी धारणा को लोप हुआ है किन्तु कर्म की शुद्धता टूट रही है। इसलिए शनि-राहु जैसे पाप ग्रह इस युग में विशेष समृद्धि देते हैं। काला धन, सट्टा, तस्करी में ये ग्रह विशेष लाभ देते हैं। उच्च का राहु दशम भाव में बैठकर अपनी महादशा में व्यक्ति को करोड़पति बना देता है।
चलने वाली अन्तरदशा का स्वामी ग्रह महादशा नाथ से यदि छठे, आठवें भाव में हो तो विशेष विघ्न बाधाएं आती हैं। महादशा नाथ से द्वितीय होने पर धन संचय, चतुर्थ-अचल सम्पत्ति में वृद्धि, त्रिकोण में आकस्मिक लाभ, दशम में राज्य से लाभ देता है। लाभेश की महादशा अंधाधुंध लाभ देती है।
व्यक्ति की स्थिति एवं देश, काल व पात्र के अनुसार यह फलित लागू होती है। एक अनुभव के अनुसार मध्यम वर्ग में लग्नेश की महादशा में रु. 4000, पंचमेंश की महादशा में रु. 5000, भाग्येश की दशा में रु. 7000 एवं दशमेश की महादशा में रु. 8000 प्रति माह आय होती है। लाभेश की महादशा में वेतन के अलावा दिन प्रतिदिन की आमदनी जोड़कर यह आंकड़ा रु.12000 तक पहुंचता है। भारतीय शहरी जीवन का यह सर्वे है। उच्च एवं निम्न आय वर्ग के लोगों का इसी अनुपात में फल घटता-बढ़ता है।
चलने वाली अन्तरदशा का स्वामी ग्रह महादशा नाथ से यदि छठे, आठवें भाव में हो तो विशेष विघ्न बाधाएं आती हैं। महादशा नाथ से द्वितीय होने पर धन संचय, चतुर्थ-अचल सम्पत्ति में वृद्धि, त्रिकोण में आकस्मिक लाभ, दशम में राज्य से लाभ देता है। लाभेश की महादशा अंधाधुंध लाभ देती है।
व्यक्ति की स्थिति एवं देश, काल व पात्र के अनुसार यह फलित लागू होती है। एक अनुभव के अनुसार मध्यम वर्ग में लग्नेश की महादशा में रु. 4000, पंचमेंश की महादशा में रु. 5000, भाग्येश की दशा में रु. 7000 एवं दशमेश की महादशा में रु. 8000 प्रति माह आय होती है। लाभेश की महादशा में वेतन के अलावा दिन प्रतिदिन की आमदनी जोड़कर यह आंकड़ा रु.12000 तक पहुंचता है। भारतीय शहरी जीवन का यह सर्वे है। उच्च एवं निम्न आय वर्ग के लोगों का इसी अनुपात में फल घटता-बढ़ता है।
पं. श्रीराम शर्मा, 11-08-2016