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ये रहस्य है मंगलवार और शनिवार को ही हनुमान पूजा का।

25-04-2017 Page : 1 / 1

ये रहस्य है मंगलवार और शनिवार को ही हनुमान पूजा का।

मंगल ग्रह का सम्बंध मंगलवार से और मंगलवार का हनुमान जी के जन्म से अर्थात् महावीर बजरंग बालाजी का जन्म मंगलवार हो हुआ। सभी मतों, सम्प्रदायों व स्थानों पर यह प्रमाण सर्वत्र रूप से स्वीकार किया गया है। जन्म तिथि के विषय में मतभेद अवश्य मिलते हैं। यथा-
मेष संक्रमणं भानौ सम्प्राप्ते मुनिसत्तमा:।
पूर्णिमाख्ये तिथौ पुण्ये चित्रा नक्षत्र संयुते॥ (स्क.पु.)

अर्थात चैत्र मास की पूर्णिमा को, जबकि सूर्य मेष राशि पर थे, तब चित्रा (चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं) नक्षत्र में हनुमान जी का जन्म हुआ। उत्तर भारत में चैत्र शुक्ल नवमी को श्रीराम का जन्मोत्सव और चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है।

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि राजा दशरथ ने जब पुत्रेष्टि यज्ञ किया तब यज्ञ की प्रसादी (खीर) को राजा दशरथ ने रानियों में बाँट दिया। कैकई को जो भाग मिला, उस भाग को एक गृध्री (मादा गिद्ध) कैकई के हाथ से झपट कर ले गई। सुदूर आकाश में उड़ते-उड़ते वायु के प्रवाह से वह यज्ञ प्रसादी चरू गृध्री से छूट गया। वह चरू माता अंजनि के हाथों में आकर गिरा जबकि वे वायुदेव की, पुत्र प्राप्ति की कामना से उपासना कर रही थीं। उधर राजा दशरथ की रानियाँ गर्भवती हुईं और इधर माता अंजनि। उधर श्रीराम का जन्म हुआ और इधर हनुमानजी का। जब गर्भाधान लगभग कम अंतर पर हुआ हो तो जन्म भी कम अंतर पर ही होना चाहिये। गर्भकाल में अधिक अंतर नही हो सकता। तुलसीदास जी कहते हैं `गीदहिं दृष्टि अपार।` गीध की गति और दृष्टि बहुत तेज होती है तो अयोध्या से किष्किन्धा तक पहुँचने में गीधनी को 4-5 दिन से अधिक समय तो नहीं लगा होगा और श्रीराम और हनुमानजी के जन्म में भी इतना ही अंतर होना समीचीन प्रतीत होता है। इसलिए चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती, मंगलवार को जन्म वार और चित्रा नक्षत्र हनुमान जी का जन्म नक्षत्र कहलाता है।

कहीं-कहीं चैत्र शुक्ला एकादशी को मघा नक्षत्र में हनुमान जी का जन्म बतलाते हैं और कहीं कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी को अथवा कार्तिक पूर्णिमा को भी। परन्तु चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, चित्रा नक्षत्र और मंगलवार अत्यधिक प्रचलित हैं और मान्य भी हैं। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को जन्म, ज्योतिष की दृष्टि से इसलिए स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि कार्तिक में सूर्य तुला राशि में होते हैं। नीच राशिगत सूर्य में हनुमत जैसे तेजस्वी सूर्य प्रधान बालाजी का जन्म हो ही नहीं सकता।

मंगलवार को जन्म होने के कारण हनुमान जी की पूजा आराधना, साज-श्रृंगार, चोला परिवर्तन  मंगलवार को किये जाते हैं। हनुमानजी मंगलवार को किए गये पूजा-पाठ से अति प्रसन्न होते हैं।

मंगलवार को हनुमान जी की सामान्य से अधिक पूजा-पाठ करने से मंगल ग्रह की भी अनुकूलता बनी रहती है। झगड़े-फसादों से रक्षा होती है, अत्यधिक आवेश पर नियंत्रण होता है, अग्नि सम्बंधी दुर्घटनाओं से रक्षा होती है, प्रतिस्पर्धा के क्षेत्रों में विजय मिलती है।

जिन्हें मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति (नीच राशि में स्थित हों, अस्त हों, शत्रु राशि में हों, शत्रु ग्रहों के मध्य हों, 4-8-12 वें भाव में हों, मारकेश हों) में होने के कारण अथवा दशान्तर्दशा के कारण कष्ट मिल रहे हों तो उन्हें मंगलवार को विशेष रूप से हनुमान जी के पूजा-पाठ करने चाहियें।

मंगलवार को पूजा करने का आधार हनुमान जी के जन्म से लिया जाता है लेकिन शनिवार को पूजा का क्या आधार है? यह भी जान लेना चाहिये-

पहली बात तो यह कि मतान्तर से कहीं-कहीं शनिवार को हनुमानजी का जन्म वार माना जाता है मतानुसार हनुमान जी सेवाभावी हैं और शनिदेव भी सेवा की भावना या अवसर देते हैं। दूसरी बात यह है कि-

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