होम : लेख :: ये आठ बातें प्रभावित करती है बाजार के तेजी मंदी को।
ये आठ बातें प्रभावित करती है बाजार के तेजी मंदी को।

पंचक नक्षत्र का अर्थ पाँच महत्वपूर्ण नक्षत्रों से है। कुंभ और मीन राशि में आने वाले पाँच नक्षत्र पंचक नक्षत्र कहलाते हैं। इन पाँचों नक्षत्रों (धनिष्ठा का उत्तराद्र्ध, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती) में अर्थात् कुंभ व मीन राशियों में (पाँच दिन तक) जब तक चंद्रमा रहते हैं तो यह समय पंचक काल कहलाता है और नक्षत्र का पंचक संज्ञक कहलाते हैं। ये नक्षत्र बाजार की तेजी मंदी को भी प्रभावित करते है।
1. यदि पंचक सोम, बुध या शुक्रवार को प्रारंभ हो अर्थात् चंद्रमा कुंभ राशि में यदि इन वारों में आएं तो रुई, सूती व खादी वस्त्र तथा अन्य रुई से निर्मित्त वस्तुओं के मूल्यों में कमी आती है, ये सस्ते होते हैं जबकि पंचक यदि रवि, मंगल या शनिवार को प्रारंभ हों तो अधिकांश व्यापारिक वस्तुओं के मूल्यों में तेजी आती है।
2. पंचक के पहले ढाई दिनों में यदि किसी वस्तु के मूल्यों में कमी आती है तो बाद में ढाई दिनों में उस वस्तु के मूल्यों में वृद्धि होती है तथा जिस वस्तु के मूल्य पहले ढाई दिनों मे बढ़ते हैं, बाद में ढाई दिनों में उसके मूल्यों में कमी आती है।
3. पंचक के प्रारंभ होने से पंचक की समाप्ति तक यदि किसी वस्तु के मूल्यों में वृद्धि बनी रही हो तो यह तेजी लगभग अगले पंचक आने तक बनी रहती है।
4. यदि पंचक का आरंभ रात्रि के अंतिम प्रहर में (सूर्योंदय से ढाई घंटे पूर्व) हों तथा पाँचवें दिन चंन्द्रमा भी मेष राशि में, रात्रि के चतुर्थ प्रहर में प्रवेश करें तो आगामी एक मास तक बाज़ार के भाव चढ़े रहते हैं। (प्रत्येक माह के हिसाब से पंचक के प्रांरभ होने से समाप्ति के समय का स्पष्ट विवरण ज्योतिष-मंथन में प्रकाशि किया जाता है।)
5. पंचक के दिनों में जिस दिन ऐन्द्र व धृति या व्यतिपात योग आए उस दिन सट्टा व शेयर बाजार में तेजी आती है।
6. पंचक दिनों में यदि रविवार को वैधृति योग आए तो वस्त्रादि के थोक व्यापारिक मूल्यों में गिरावट आती है।
7. पंचक के दिनों में शुक्रवार आए तथा अगले मास के पंचकों में भी शुक्रवार आने वाला हो तो पहले पंचकों में शुक्रवार को जिस वस्तु के मूल्यों में तेजी या मंदी हो और अगले पंचकों के शुक्रवार को भी इन्हीं वस्तुओं के मूल्यों में पूर्ववत तेजी या मंदी हो तो मूल्यों की तेजी या मंदी अगले पंचकों में पडऩे वाले शुक्रवार से अगले बुधवार तक रहती है।
8. पंचक काल में मंगलवार को किसी वस्तु के मूल्यों में तेजी हो तो अगले शनिवार को भी इस वस्तु के दाम तेजी पकड़ते हैं। इसी प्रकार यदि पंचकों में शनिवार को जिस वस्तु के मूल्यों में तेजी आती है तो अगले मंगलवार को भी उसी वस्तु के मूल्यों में तेजी आती है।
1. यदि पंचक सोम, बुध या शुक्रवार को प्रारंभ हो अर्थात् चंद्रमा कुंभ राशि में यदि इन वारों में आएं तो रुई, सूती व खादी वस्त्र तथा अन्य रुई से निर्मित्त वस्तुओं के मूल्यों में कमी आती है, ये सस्ते होते हैं जबकि पंचक यदि रवि, मंगल या शनिवार को प्रारंभ हों तो अधिकांश व्यापारिक वस्तुओं के मूल्यों में तेजी आती है।
2. पंचक के पहले ढाई दिनों में यदि किसी वस्तु के मूल्यों में कमी आती है तो बाद में ढाई दिनों में उस वस्तु के मूल्यों में वृद्धि होती है तथा जिस वस्तु के मूल्य पहले ढाई दिनों मे बढ़ते हैं, बाद में ढाई दिनों में उसके मूल्यों में कमी आती है।
3. पंचक के प्रारंभ होने से पंचक की समाप्ति तक यदि किसी वस्तु के मूल्यों में वृद्धि बनी रही हो तो यह तेजी लगभग अगले पंचक आने तक बनी रहती है।
4. यदि पंचक का आरंभ रात्रि के अंतिम प्रहर में (सूर्योंदय से ढाई घंटे पूर्व) हों तथा पाँचवें दिन चंन्द्रमा भी मेष राशि में, रात्रि के चतुर्थ प्रहर में प्रवेश करें तो आगामी एक मास तक बाज़ार के भाव चढ़े रहते हैं। (प्रत्येक माह के हिसाब से पंचक के प्रांरभ होने से समाप्ति के समय का स्पष्ट विवरण ज्योतिष-मंथन में प्रकाशि किया जाता है।)
5. पंचक के दिनों में जिस दिन ऐन्द्र व धृति या व्यतिपात योग आए उस दिन सट्टा व शेयर बाजार में तेजी आती है।
6. पंचक दिनों में यदि रविवार को वैधृति योग आए तो वस्त्रादि के थोक व्यापारिक मूल्यों में गिरावट आती है।
7. पंचक के दिनों में शुक्रवार आए तथा अगले मास के पंचकों में भी शुक्रवार आने वाला हो तो पहले पंचकों में शुक्रवार को जिस वस्तु के मूल्यों में तेजी या मंदी हो और अगले पंचकों के शुक्रवार को भी इन्हीं वस्तुओं के मूल्यों में पूर्ववत तेजी या मंदी हो तो मूल्यों की तेजी या मंदी अगले पंचकों में पडऩे वाले शुक्रवार से अगले बुधवार तक रहती है।
8. पंचक काल में मंगलवार को किसी वस्तु के मूल्यों में तेजी हो तो अगले शनिवार को भी इस वस्तु के दाम तेजी पकड़ते हैं। इसी प्रकार यदि पंचकों में शनिवार को जिस वस्तु के मूल्यों में तेजी आती है तो अगले मंगलवार को भी उसी वस्तु के मूल्यों में तेजी आती है।
- पं. श्रीराम शर्मा, 15/04/2017