होम : लेख :: आपमें हो सकते है ये अवगुण यदि आपकी जन्मपत्रिका में सूर्य इस भाव में है तो।
आपमें हो सकते है ये अवगुण यदि आपकी जन्मपत्रिका में सूर्य इस भाव में है तो।

सप्तम भाव में सूर्य के रहने से जातक का शरीर दुर्बल होता है, मन चंचल, गुह्य रोगी, पाप कर्मयुक्त, भययुक्त, राज्य कष्ट होता है। जातक की स्त्री सुन्दर होते हुए भी रोगिणी होती है। विवाह में विलम्ब होता है। स्वस्त्री विरोधी और परस्त्री पे्रमी होता है। एक स्त्री के होते हुए दूसरी से भी संबंध बनाए रखता है। सिंह राशि सूर्य यदि बलवान हो तो जातक अपनी भार्या के प्रति निष्ठावान होता है। सूर्य अग्नि तत्व ग्रह है। सप्तम भाव में इसकी स्थिति से जातक अपनी कामेच्छा पर नियंत्रण खो बैठता है तथा वासना के वशीभूत हो जाता है जिसके कारण एक स्त्री से संतुष्टि नहीं होती इसलिए अन्य स्त्रियों की इच्छा करता है। स्त्री जातक में सप्तम में (सूर्य, मंगल, शनि), (सूर्य, मंगल, चंद्रमा) या (सूर्य, मंगल, शुक्र) युति प्रबल व्यभिचारिणी योग बनाता है।
ज्योतिष ग्रंथो के अनुसार -
ज्योतिष ग्रंथो के अनुसार -
- चमत्कार चिन्तामणि के अनुसार: जिस जातक के जाया भाव में सूर्य होते हैं वह व्यक्ति व्याधियों से संयुक्त, चिड़-चिड़े स्वभाव का होता है। दैवज्ञों के अनुसार सप्तमस्थ सूर्य स्त्री क्लेश कारक भी होते हैं। यदि स्त्री की कुण्डली में सूर्य सप्तम भाव में हो तो कुलटा एवं परपति गामिनी होती है।
- कल्याणकृत सारावली के अनुसार: सप्तम स्थान में स्थित सूर्य जातक को स्त्री द्वेषी, चरित्रहीन बनाता है जातक का मुख क्रांतिहीन होता है।
- जातक तत्व महादेवकृत के अनुसार: यदि सप्तम भाव में पापी ग्रह सूर्य, मंगल, शनि हो तो जातक, जातिका में उत्तम गुणों का अभाव रहता है।
- ज्योतिष रहस्य ग्रंथ के अनुसार: सप्तम में सूर्य जीवनसाथी के दु:ख, पीड़ा का सूचक है। पश्चिम मतानुसार पीडि़त सूर्य खराब फल देता है।
- भावकुतुहलम् के अनुसार: सप्तमस्थ सूर्य स्त्रियों के लिए राजयोग बनाता है परन्तु जातिका की जन्म पत्रिका में सप्तमस्थ सूर्य को अद्यमवर्ताव वाली, पतित, लज्जाहीन वाली कहा है।
- बृहत्जातक के अनुसार: सप्तम स्थान में सूर्य जातक को सम्मान, आदर, तरक्की, प्रेम नहीं दिलाता।
- बृहतपराशर होराशास्त्र के अनुसार: सप्तम में सूर्य जातक का बंध्या स्त्री से संबंध रखवाता है तथा जातक को चरित्रहीन बनाता है।
- नारद पुराण त्रिस्कंध ज्योतिष के अनुसार: सप्तम में सूर्य हो तो जातक स्त्री से पराजित होता है।
- मानसागरी के अनुसार: `युवतिभवनं संस्थे भास्करे स्त्री विलासी` सप्तम में सूर्य स्त्री को विलासी बनाता है।
- फलदीपिका के अनुसार: श्री मंत्रेश्वर ने अष्टम अध्याय के 3 श्लोक में कहा है कि यदि सूर्य सप्तम में हो तो जातक शारीरिक पीड़ा क्रोध, रोग, कष्ट से पीडि़त रहता है।
- होरा सार के अनुसार: सप्तमस्थ सूर्य होने से जातक अस्थिर मस्तिष्क का अशांत होता है।
ज्योतिष कल्पतरू में लिखा है यदि सप्तम स्थान में मेष का सूर्य हो तो क्रोधी, वृषभ का हो तो नारी पतिव्रता, धर्म का पालन करने वाली, कन्या का सूर्य स्त्री विनाश कराने वाला, तुला का सूर्य वृद्धावस्था में स्त्री विनाश कराने वाला, वृश्चिक का सूर्य जातक को स्त्री को वश में रखने वाला, मकर का सूर्य पुत्र, संतान चिंता, विनाश कराने वाला तथा मीन का सूर्य कई स्त्रियों से सम्पर्क, संबंध रखने वाला होता है।