होम : लेख :: इस दीपावली करें ये 10 टोटके तो लक्ष्मी जी आयेंगी आपके घर।
इस दीपावली करें ये 10 टोटके तो लक्ष्मी जी आयेंगी आपके घर।

1. जिसको धन की कामना हो वह दीपावली के दिन उपवास करें, प्रात:काल अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करें, जीवित माता-पिता और गुरु की सेवा करें, उनको उपहार देकर प्रसन्न करके आशीर्वाद लें और सायंकाल प्रदोष काल में देवी महालक्ष्मी का अपने वैभव के अनुसार पूजन करें, घर में बने हुए मेवा, मिष्ठान और स्वादिष्ट भोजन का भोग लगाएं और फिर प्रसाद के स्वरूप में भोजन ग्रहण करें। रात्रि में प्रात:काल 4 बजे तक भगवती लक्ष्मी का स्मरण करें, मंत्र जाप करें।
केवल बालक और रोगी के लिए उपवास का नियम नहीं है।
2. माता लक्ष्मी की पूजा में बेलपत्र, बेलफल, कमल पुष्प, गन्ना और अन्य सुगंधित पुष्प चढ़ाने चाहिएं।
3. माता लक्ष्मी के साथ अन्य प्रधान सखियों की और अष्टलक्ष्मी व देव पत्नियों का भी स्मरण करना चाहिए। जैसे - ब्रह्म पत्नी सरस्वती, शिव पत्नी पार्वती, इन्द्र पत्नी शचि, अग्नि पत्नी स्वाहा, पितृ पत्नी स्वधा, चंद्र पत्नी नक्षत्रगण, सूर्य पत्नी संज्ञा आदि का भी स्मरण और वंदन करना चाहिए। यथा -
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
4. इस दिन दीपावली की रात्रि में जो भगवती लक्ष्मी के लिए सुंदर कमल पुष्पों की सुख सेज बिछाते हैं और माता लक्ष्मी को सेज पर बिठाते हैं, उनके घर को छोड़कर देवी लक्ष्मी कभी नहीं जाती। जो देवी लक्ष्मी को सुगंधित पदार्थों के साथ कमल पुष्प की शय्या पर बिठाते हैं उनके जीवन से दु:ख और दरिद्र चला जाता है।
5. गाय के दूध से अपने हाथों खोवा बनाकर उसमें मिश्री या देसी खाण्ड मिलाकर लड्डू या पेड़े बनाकर भोग लगाने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं। बाजार की हजारों रुपयों की मिठाई की अपेक्षा घर में निर्मित शुद्ध एक कटोरी हलवा या पांच पेड़े देवी लक्ष्मी को अधिक प्रिय सिद्ध होते हैं।
6. अपने घर को पूर्णत: स्वच्छ और सुन्दर सजाकर देवी लक्ष्मी का आह्वान करना चाहिए और रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए। यह रात्रि दीपावली की भोग-विलास, मैथुन या जुआ-सट्टा आदि के लिए नहीं, अपितु देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए है, ऐसी मानसिक धारणा रखनी चाहिए।
7. किसी विद्वान और किसी न किसी भूखे को अवश्य भोजन कराने से निश्चित ही कोई मनोकामना पूर्ण होती है।
8. माता लक्ष्मी की पूजा करते समय स्वयं को भी पूर्णत: सजधज कर सौलह श्रंगार करके पूजा में बैठना चाहिए। कभी भी गंदे, पुराने, अपवित्र वस्त्र नहीं पहनने चाहिएं, बल्कि नए वस्त्र पहनने चाहिए। दु:खी मन से, सुस्त चेहरा रखकर पूजा नहीं करनी चाहिए। सदैव लक्ष्मी पूजा के समय आनन्दित और प्रफुल्लित रहना चाहिए।
9. दीपावली के दिन बलि का राज्य होता है। यह उत्सव मनाने का दिन होता है। इस दिन किसी भी प्रकार से जीव-हिंसा, मदिरापान, अगम्या स्त्री का संग, चोरी और विश्वासघात करने वाले के जीवन से लक्ष्मी चली जाती है।
केवल बालक और रोगी के लिए उपवास का नियम नहीं है।
2. माता लक्ष्मी की पूजा में बेलपत्र, बेलफल, कमल पुष्प, गन्ना और अन्य सुगंधित पुष्प चढ़ाने चाहिएं।
3. माता लक्ष्मी के साथ अन्य प्रधान सखियों की और अष्टलक्ष्मी व देव पत्नियों का भी स्मरण करना चाहिए। जैसे - ब्रह्म पत्नी सरस्वती, शिव पत्नी पार्वती, इन्द्र पत्नी शचि, अग्नि पत्नी स्वाहा, पितृ पत्नी स्वधा, चंद्र पत्नी नक्षत्रगण, सूर्य पत्नी संज्ञा आदि का भी स्मरण और वंदन करना चाहिए। यथा -
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
4. इस दिन दीपावली की रात्रि में जो भगवती लक्ष्मी के लिए सुंदर कमल पुष्पों की सुख सेज बिछाते हैं और माता लक्ष्मी को सेज पर बिठाते हैं, उनके घर को छोड़कर देवी लक्ष्मी कभी नहीं जाती। जो देवी लक्ष्मी को सुगंधित पदार्थों के साथ कमल पुष्प की शय्या पर बिठाते हैं उनके जीवन से दु:ख और दरिद्र चला जाता है।
5. गाय के दूध से अपने हाथों खोवा बनाकर उसमें मिश्री या देसी खाण्ड मिलाकर लड्डू या पेड़े बनाकर भोग लगाने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं। बाजार की हजारों रुपयों की मिठाई की अपेक्षा घर में निर्मित शुद्ध एक कटोरी हलवा या पांच पेड़े देवी लक्ष्मी को अधिक प्रिय सिद्ध होते हैं।
6. अपने घर को पूर्णत: स्वच्छ और सुन्दर सजाकर देवी लक्ष्मी का आह्वान करना चाहिए और रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए। यह रात्रि दीपावली की भोग-विलास, मैथुन या जुआ-सट्टा आदि के लिए नहीं, अपितु देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए है, ऐसी मानसिक धारणा रखनी चाहिए।
7. किसी विद्वान और किसी न किसी भूखे को अवश्य भोजन कराने से निश्चित ही कोई मनोकामना पूर्ण होती है।
8. माता लक्ष्मी की पूजा करते समय स्वयं को भी पूर्णत: सजधज कर सौलह श्रंगार करके पूजा में बैठना चाहिए। कभी भी गंदे, पुराने, अपवित्र वस्त्र नहीं पहनने चाहिएं, बल्कि नए वस्त्र पहनने चाहिए। दु:खी मन से, सुस्त चेहरा रखकर पूजा नहीं करनी चाहिए। सदैव लक्ष्मी पूजा के समय आनन्दित और प्रफुल्लित रहना चाहिए।
9. दीपावली के दिन बलि का राज्य होता है। यह उत्सव मनाने का दिन होता है। इस दिन किसी भी प्रकार से जीव-हिंसा, मदिरापान, अगम्या स्त्री का संग, चोरी और विश्वासघात करने वाले के जीवन से लक्ष्मी चली जाती है।
10. मध्यरात्रि में ग्रहणियाँ अपने घर के आंगन में झाडू लगाकर कचरा इकठ्ठा करें और सूप को बजाते हुए अपने आगे-आगे अलक्ष्मी को मानते हुए उस कचरे को ले जाकर घर के बाहर छोड़ दें। इससे अलक्ष्मी घर से चली जाती है और घर में श्रीलक्ष्मी का प्रवेश होता है।
- ज्योतिष मंथन