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अद्भुत पुस्तक - खगोलशास्त्र एवं पौराणिक अवधारणाएँ।

राहु के 18 के मुकाबले केतु के 7 वर्ष क्यों?
देश के मूर्धन्य ज्योतिषी एवं वास्तुशास्त्री पं. सतीश शर्मा ने अपनी नई पुस्तक ‘‘खगोलशास्त्र एवं पौराणिक अवधारणाएँ’’ में इस बात को स्पष्ट किया है कि राहु के 18 वर्ष और केतु के दशावर्ष 7 वर्ष होने का कारण खगोलशास्त्र सम्बन्धी आधार है। प्राचीन ऋषि जानते थे कि राहु और केतु की गति समान है और दोनों एक -दूसरे से 180 अंश पर रहते हैं, परन्तु दोनों के दशावर्ष में अन्तर का कारण उनकी अगल-अलग कक्षाएँ होना हैं। इस बात का विस्तृत विवरण उनकी नई पुस्तक में मिलेगा। पुराणों में वर्णित कई कथाओं का विश्लेषण खगोलशास्त्र के ज्ञान में मिलता है।
उन्होंने अंग्रेज इतिहासकारों को पुराणों का मखौल उड़ाने के विरुद्ध चुनौती प्रस्तुत की है और कई पुराण कथाओं के मूल में खगोलीय ज्ञान के आधार को स्पष्ट किया है।
- बुध ग्रह का जन्म
- गंधर्वराज चन्द्रमा
- मंगल ग्रह का जन्म
- वास्तुचक्र की देवियाँ
- ब्रह्मा की मानसी सृष्टि
- जैमिनी का बंधनयोग
- वास्तुशास्त्र का राहुपृष्ठ
- सृष्टि से बहने वाली सत्ताएँ
- ईश्वर कौन से आयाम में स्थित है
- दिव्य सर्प का माया से समीकरण
- काल पुरुष से वास्तु पुरुष का उद्भव
- विश्वामित्र द्वारा रचे गये दूसरे स्वर्ग
- विवाह मेलापक में शक्तिशाली नक्षत्र
- तीसरे और चौथे आयाम में समन्वय
- लौकिक और अलौकिक में सामंजस्य
- विद्युत के आविष्कारक अगस्त्य ऋषि
- स्टीफन हाकिंग द्वारा वर्णित समय यात्राएँ एवं
- नक्षत्रराज पुष्य का विवाह के लिए अभिशप्त होना
ज्योतिष के आधुनिक दार्शनिकों में अग्रगण्य पं. सतीश शर्मा ने ऋषियों के मानसिक चिंतन की अवस्था में पहुँचकर जो वैज्ञानिक प्रमाण ढूँढे हैं, वे अद्भुत हैं। इससे भारत में ज्योतिष योगों को लेकर एक नया चिंतन प्रारम्भ होगा।
यह पुस्तक शिक्षक और ज्योतिष के विद्यार्थियों के लिए समान रूप से लाभकारी है। इस पुस्तक से ऋषि प्रणीत चिंतन को बढ़ावा मिलेगा।
-राजेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार