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मायावी शुक्र।

27-04-2019

ज्योतिष जगत में पं. सतीश शर्मा एक मान्य हस्ताक्षर हैं। पं. बाबू लाल स्वामी, निवासी तिजारा, जिला अलवर के पौत्र व पं. रामचन्द्र जोशी (लक्ष्मणगढ़, सीकर, राज.) के शिष्य पं. शर्मा ज्योतिष क्षेत्र में न केवल एक समृद्ध वंश परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं, अपितु आधुनिक पद्धतियों में भी निष्णात हैं। इनकी वंश परम्परा का उल्लेख नाभादास कृत भक्तमाल व भविष्य पुराण में मिलता है। इनके पूर्वज मथुरादास जी के सानिध्य में मीरा भी रही थी।

ज्योतिष मंथन के मुख्य सम्पादक के रूप में गत दो दशावधियों से भी अधिक वर्षों से पं. सतीश शर्मा ने ज्योतिष के क्षेत्र में क्रांति सी ला दी है तथा जटिल व गंभीर शास्त्रों को बहुत सरल रूप में प्रस्तुत किया है।

उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें वास्तु विद्या (हिन्दी व अंग्रेजी संस्करण) तथा खगोल शास्त्र और पौराणिक अवधारणाएँ (हिन्दी व अंग्रेजी संस्करण) प्रसिद्ध हुईं। खगोल शास्त्र और पौराणिक अवधारणाएँ पुस्तक उनके दार्शनिक चिंतन पर आधारित है।

अन्तर्राष्ट्रीय वास्तु एकेडमी के संस्थापक हैं तथा देश - विदेश में वास्तुशास्त्र का प्रचार-प्रसार करने में वे अग्रणी हैं। भारत में वे वास्तु के पर्याय के रूप में जाने जाते हैं। जन शिक्षण के अपने संकल्प व प्रतिबद्धता के अन्तर्गत देश विदेश में हजारों वास्तु कार्यक्रम, सेमिनार, लेख तथा प्रिंट व इंटरनेट ज्योतिष पत्रिका के माध्यम से उन्होंने देश भर में हजारों नए ज्योतिषी तैयार कर दिये हैं। वास्तुशास्त्र के क्षेत्र में उन्हें अप्रतिम प्रतिष्ठा मिली व भारत व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़े घराने व उद्योगपति उनसे सलाह लेते हैं। उनका मुख्यालय भारत के जयपुर शहर में है।

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प्रकाशक, ज्योतिष मंथन

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