सुव्यवस्थित एवं सुचारु रूप में जीवन जीने के लिए `आवास` प्राथमिक आवश्यकता है।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनकाल में विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझता रहता है। यद्यपि व्यक्ति के पास ज्ञान व अनुभव एवं संसाधनों की कमी नहीं है तथापि वह इतना जुझारु नहीं हो पाया।
हमारे ऋषियों ने इस बात को समझ कर गहन-चिन्तन व मनन कर यह तथ्य जाना और निर्धारित किया कि जीवन रूपी रथ के दो पहिए तन व मन हैं व उन दोनों का ही स्वस्थ व संतुलित होना अनिवार्य है। वे सभी प्रकृति के तीनों बलों एवं पंचमहाभूतों पर आधारित हैं। किसी भी वस्तु का जीवन में क्या उपयोगी स्थान है, इसी बात का महत्त्व है।
वास्तु शास्त्र का महत्त्व भी जीवन में इसके उपयोगी तत्त्वों-पंच महाभूतों (भूमि, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश) से निर्मित वातावरण से सामंजस्य के कारण है। इनके संतुलन से मनुष्य का जीवन तन व मन सक्रिय रहता है तथा असंतुलन से निष्क्रिय हो जाता है। वास्तुशास्त्र ही मात्र ऐसा शास्त्र है जो मानव की क्षमताओं को विकसित करने के लिए इन महाभूतों को विकसित करने के लिए इन महाभूतों का सहारा लेता है, अत: इसकी उपयोगिता प्रमाणित हो जाती है।
नि:संदेह यह कहा जा सकता है कि जीवन तथा भवन में पंच महातत्त्वों के गुणों को आधार मानकर सामंजस्य स्थापित करने के सुखद प्रयास का नाम ही वस्तुत: वास्तुशास्त्र है, जिसे हमारे ऋषियों एवं आचार्यों ने कठोर साधना कर आत्मसात किया व प्रकृति की इन शक्तियों से मानव को ओत-प्रोत करने के लिए वास्तुशास्त्र के नियमों व सिद्धांतों का पालन करना अपेक्षित किया ताकि संसार में उन्नति, विकास व कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकें।
सभी वास्तु सेवाओं के लिए भूमि, मकान या उद्योग जैसी भी स्थिति हो, का लेआउट प्लान ऑटोकेड में हमें भेजे जाने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त सही दिशा ज्ञान यदि भूखण्ड पर कम्पास की मदद से लिया जाकर हमें प्रेषित किया जाए तभी उचित सेवा प्रदान की जा सकती है। इस सेवा के अन्तर्गत हम आपके द्वारा प्रदत्त नक्शे पर वास्तु पुरुष को सुपर इम्पोज करके फिर पायी गई गलतियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हैं।